शब्दार्थ-अत्र = यहाँ । देवः = देवता, भगवान् । भवेत् = हो। भवन्तः = आपलोग।
धनं = धन । गृहं = घर । सर्वे = सभी । मूर्खाः = मूर्ख । सन्ति = हैं। च = और । यत् = जो।
नास्ति = नहीं है। तदेव = वही । गुरुवर्य = गुरुवर।
अर्थ: :-
2. गुरुः (छात्रों से)- यदि यहाँ भगवान प्रकट हो जाएँ तो आपलोग क्या-क्या प्रार्थना
करोगे?
प्रथम छात्र - मैं तो धन के लिए प्रार्थना करूँगा।
दुसरा छात्र - मै तो घर के लिए प्रार्थना करूँगा।
तीसरा छात्र - मैं तो प्रभुता के लिए प्रार्थना करूँगा।
आप लोग मूर्ख हैं। मैं तो विद्या और बुद्धि के लिए प्रार्थना करूँगा। छात्र -हे गुरुवर ! जिसके पास जिस वस्तु की कमी होती है, वह उसी
वस्तु के लिए प्रार्थना करता है।
शब्दार्थ:- उच्चैः = जोर से। मम = मेरा, मेरे । स्नानाय = नहाने के लिए। उष्णं =
गर्म । आन = ला । अन्यथा = नहीं तो । भवान् = आप । शीतलैः = ठण्डे । जलैः = पानी से।
अर्थ: :-पति (जोर से, पत्नी को)- मेरे स्नान के लिए शीघ्र गर्म जल लाओ। नहीं तो ... ।
पत्नी (क्रोध से) - नहीं तो आप क्या करेंगे?
पति (मुस्कुराते हुए) - क्या करूँगा? ठण्डे जल से ही स्नान करूँगा।
4. मातलः ( श्रीधरं प्रति ) श्रीधरः - वत्स , त्वं कथं न स्वाध्ययनं करोषि ? किं त्वं जानासि यत् पं . जवाहर लाल नेहरूः यदा तव वयसि आसीत् तदा सः स्वकक्षायां प्रथमं स्थानं प्राप्नोति स्म ?
श्रीधर- जानामि मातुल ! जानामि , पं . जवाहर लाल नेहरू : यदा भवतः वयसि आसीत् तदा सः भारतदेशस्य प्रधानमंत्री आसीत् ।
शब्दार्थ-वत्स = प्रिय । कथं = क्यों । स्वाध्ययनं = स्वाध्याय । करोषि = करते हो। यदा = जब । तव = तुम्हारे । वयसि = उम्र के । आसीत् = थे, था। तदा = तब । प्राप्नोति स्म = प्राप्त करते थे। मातुलः = मामा । भवतः = आपके।
अर्थ:-मामा (श्रीधर से)- प्रिय, तुम स्वयं क्यों नहीं पढ़ते हो ? क्या तुम जानते हो कि
पं. जवाहरलाल नेहरू जब तुम्हारी उम्र के थे तो वह अपनी
कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करते थे। श्रीधर – जानता हूँ मामा जी। जानता हूँ, पं. जवाहरलाल नेहरू जब
आपकी उम्र के थे तो भारत के प्रधानमंत्री थे। . ......
शब्दार्थ-जनकः = पिता। दृष्ट्वा = देखकर । सक्रोधं = क्रोध सहित। धिक् = धिक्कार है। पञ्चत्रिंशत् = पैंतीस । आङ्गल भाषायां = अंग्रेजी में । षट्त्रिंशत् = छत्तीस। सप्तत्रिंशत् = सैंतीस । त्वया = तुम्हारे द्वारा । लब्धाः = प्राप्त किया गया। स्वामिन् = स्वामी। इदं = यह। मेया = मेरे द्वारा। पेटिकायां = पेटी (बक्से) में। प्राप्तम् = पाया गया।
अर्थ:-पिता (अंकपत्र देखकर क्रोधपूर्वक पुत्र से कहता है)—धिक्कार है बेटे ! यह क्या ? अंग्रेजी में छत्तीस, गणित में पैंतीस, विज्ञान में पैंतीस, हिन्दी में सैंतीस अंक तुम्हारे द्वारा प्राप्त किया गया ! धिक्कार है तुम्हें, धिक्कार है।
माता (पति से)—स्वामी! यह अंक पत्र पुत्र का नहीं है। यह अंक पत्र तो आपका है। यह मुझे आपकी पेटी में मिला है।
6 . एकदा त्रयः जनाः- ( अमेरिकादेशीयः , नाइजीरियादेशीयः , अन्यदेशस्य ईर्ष्याल : च ) भगवतः शिवस्य तपस्याम् अकुर्वन् । तेषां तपसा प्रसन्नो भूत्वा शिवः प्रत्यक्षः अभवत् अकथयत् च - पुत्र , वर वरय ।
प्रथम- भगवन् , धनं ददातु । शिवः तथास्तु ।
द्वितीयः- भगुवन , मयं गौरवर्ण ददातु । तथास्तु ।
तृतीयः- ( प्रथमस्य द्वितीयस्य च धनं रूपं च दृष्ट्या ईविशात् ) भगवन् , प्रथम द्वितीयं च पूर्ववत् करोतु ।
शब्दार्थ—एकदा = एकबार । त्रयः = तीन । जनाः = लोग। तपस्याम् = तपस्या। अकुर्वन् = किया। तेषां = उनके। प्रसन्नो = प्रसन्न, खुश । भूत्वा = होकर । वरं = वरदान । - वरय = माँगो। ददातु = दें। तथास्तु = वैसा ही हो। ईर्ष्याविशात् = ईर्ष्यावश। पूर्ववत् = पहले जैसा । करोतु = करें।
अर्थ:-एक बार तीन लोग (अमेरिका, नाइजीरिया तथा अन्य देशों से ईर्ष्या करने वाले)- भगवान शंकर की तपस्या करने लगे। उन लोगों की तपस्या से खुश होकर शिवजी उनके सामने प्रकट हुए तथा वरदान माँगने को कहा।
पहला आदमी-भगवन्! धन-दौलत दें। शिव-वैसा ही हो।
दूसरा-भगवान् ! मुझे गौर वर्ण बना दें। शिव-वैसा ही हो। तीसरा-(प्रथम एवं द्वितीय के धन तथा रूप देखकर ईर्ष्यावश) प्रभु! प्रथम तथा द्वितीय को पहले जैसा बना दें।
अभ्यासः
प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1. जीवने हासस्य का आवश्यकता वर्तते ?
उत्तर-जीवने हासस्य अति आवश्यकता वर्तते। हसनेन जीवनं प्रफुल्लः भवति। नेन दुखं चिन्ता च दूरं भवति । हसनेन मनसि विकार: अपसरति ।
प्रश्न 2. हासस्य का परिभाषा ?
उत्तर-येन वार्तालापेन अन्य जनाः प्रसीदन्ति हसन्ति वा सा वार्ता हासम् इति कथ्यते।
0 टिप्पणियाँ
Please do not enter any spam link in the comment box.